दोस्तो , एक जमाना था जब कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स एजेंसी और फिर रिटेल शॉप के माध्यम से बेचा करती थी। एक और जहां इसमें प्रोडक्ट की कॉस्ट बढ़ जाती थी तो दूसरी और आपूर्ति भी समय पर नहीं हो पाती थी। लेकिन जैसे जैसे इंटरनेट का प्रसार बढ़ता गया धीरे धीरे कई कम्पनीज़ अपना सामान सीधे ग्राहकों तक पहुँचाने लगी। इस तरीके से कंपनी और ग्राहक के बीच सीधा संपर्क हो गया। कंपनी और ग्राहक के बीच एजेंट और दुकानदार गायब हो गए।
भारत में इसकी शुरुआत अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के माध्यम से हुई और कुछ ही समय में देखते देखते आज सैकड़ो ऑनलाइन मार्केट बाजार में आ चुके है। कंपनी से ग्राहक को सीधे सामान बेचना या पहुँचाना ही D2C अर्थात डायरेक्ट तो कंज्यूमर कहलाता है।
तो चलिए करते है शुरुआत अपने इस ब्लॉग पोस्ट की।
नेस्ले, पैनासोनिक, डाबर और विप्रो कंज्यूमर केयर जैसी कंपनियां डायरेक्ट टू क्लाइंट्स (डी2सी) मार्केटिंग पर फोकस कर रही है।
पर्सनल लेवल पर कम इनकम के बावजूद, नेस्ले , पैनासोनिक और विप्रो जैसी कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि वे अपने माइक्रोसाइट्स का उपयोग रिलीज़ सिस्टम के रूप में करते हैं, पेट्रोन डेटा प्राप्त करने के लिए, लॉयल्टी कंस्ट्रक्शन करते हैं, और फिर वॉल्यूम के लिए अलग अलग बड़े चैनलों में रोल आउट करते हैं, या सीधे कंस्यूमर्स को अमेज़ॅन या फ्लिपकार्ट जैसे हाई स्केल सिस्टम पर ले जाते हैं।
रिटेल
देश की पैकेज्ड फूड मेकर नेस्ले MyNestlé नाम से अपना खुद का एक ऐसा प्लेटफॉर्म आजमा रही है, जिसके बारे में कंपनी का कहना है कि यह मर्चेंडाइज, कस्टम गिफ्टिंग, सब्सक्रिप्शन और डिस्काउंट को क्यूरेट करेगा।
नेस्ले, पैनासोनिक, डाबर और विप्रो कंज्यूमर सहित बड़े पैकेज्ड आइटम संगठनों ने कहा कि वे डायरेक्ट-टू-क्लाइंट (डी2सी) चरण के भीतर अपनी व्यक्तिगत माइक्रो-वेबसाइटों के साथ बड़े पैमाने पर निवेश करने या आवंटित करने के लिए तैयार हैं और अपने सबसे फेमस ब्रांड्स को ऑनलाइन-रिलीज करते हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, मैरिको और इमामी जैसी एजेंसियों में शामिल होने वाले ब्रांड, जिन्होंने लगभग एक साल पहले अपनी माइक्रो-वेब, वेबसाइटों का संचालन शुरू किया था।
वर्तमान में, डाबर शॉप बीटा परीक्षण स्टेज में है । मार्च २०२३ तक इसके पूर्ण रिलीज की उम्मीद है । यह कंपनी वाटिका शैम्पू और रेड टूथपेस्ट बनाती है और अब अपनी आयुर्वेदिक दवाइयों की रिटेल बिक्री भी कर सकती है। समय के साथ यह आयुर्वेदिक दवा पोर्टफोलियो सहित संपूर्ण डाबर उत्पाद लाइन के लिए वन-स्टॉप शॉप बन जाएगी। जिसे वर्तमान में ऑनलाइन बाजार में भी ढूँढना मुश्किल है।
संतूर साबुन निर्माता कंपनी विप्रो ने कंज्यूमर केयर, जिसमे न्यूट्रास्यूटिकल पावर गमीज़ आयुर्वेदिक कंपनी टीएसी और पुरुषों के ग्रूमिंग स्टार्ट-अप लेट्सशेव में निवेश किया है । आने वाले वर्ष में पहली बार डी2सी पैकेज्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स के फील्ड में भी आ रही है।
विप्रो ने जॉइंट वेंचर के लिए २०० करोड़ रुपये का बजट रखा था जो स्टार्टअप में निवेश के लिए थे। जिसमें से उसके पास अभी भी १०० करोड़ रुपये हैं।
देश के पैकेज्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स की सबसे बड़ी कंपनी नेस्ले भी MyNestle नामक अपने स्वयं के ऐसे प्लेटफ़ॉर्म की जाँच कर रहा है। जिसके बारे में संगठन ने कहा प्रोडक्ट्स, पर्सनल गिफ्ट्स, सदस्यता और डिस्काउंट्स को क्यूरेट करेगा ।
पेट्रोन इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता पैनासोनिक के एक प्रवक्ता कहा कि कंपनी ने अभी देश में अपना डी2सी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है । उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी अगले महीने के अंत तक लाइफस्टाइल और ग्रूमिंग उत्पादों को शामिल करने के लिए अपनी डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर रेंज का विस्तार करना चाहती है।
हमारे भारतीय निर्मित उपकरण जैसे कि वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर और टेलीविजन वर्तमान में उपलब्ध हैं। जल्द ही हम लाइफ स्टाइल और ग्रूमिंग मर्चेंडाइज की एक व्यापक रेंज की रिटेल बिक्री करना पसंद करेंगे और सभी टेक्नोलॉजिकल एक्शन लिए जा रहे हैं।
पुरुष या महिला प्रणालियों में कम आय के बावजूद, अधिकारियों ने कहा कि वे अपने माइक्रोसाइट्स का उपयोग रिलीज स्ट्रक्चर के रूप में करते हैं| जिससे पेट्रोन डेटा प्राप्त करने और लॉयल्टी निर्माण के लिए करते हैं और फिर वॉल्यूम के लिए विभिन्न बड़े चैनलों में रोल आउट करते हैं या खरीदारों को अमेज़ॉन या फ्लिपकार्ट जैसे स्केल सिस्टम के लिए निर्देशित करते हैं।
कन्नन सीताराम, जो शुरुआत में कंस्यूमर्स स्टार्टअप निवेशक फायरसाइड वेंचर्स के पार्टनर थे | डिजिटल-फर्स्ट कंस्यूमर्स ब्रांडों पर फोकस करते हुए अपने थर्ड फंड के लिए $२२५ मिलियन जुटाए। उनका कहना था कि “लीगेसी कंपनियां डी2सी स्पेस को मिस नहीं कर सकती हैं; बहुत से लोग अपने स्वयं के या अन्य ब्रांडों के साथ अपने स्वयं के प्लेटफ़ॉर्म स्थापित कर रहे हैं। उन्हें आने वाले समय में इसकी गति बढ़ने की उम्मीद हैं।
आरपीएसजी कैपिटल वेंचर्स ने कहा कि वर्तमान में ८०० से अधिक नए डायरेक्ट-टू-कंस्यूमर्स सिस्टम (या जो ऑनलाइन खरीदारों को , अमेज़ॅन या फ्लिपकार्ट जैसे बाज़ारों के माध्यम के बगैर बिना किसी देरी के बेचते हैं )। जनवरी और दिसंबर २०२२ के बीच लाए गए हैं, जिसमें ४०-५० मिलियन नए कंस्यूमर्स हैं। उनका कहना है कि उन्होंने ऐसे सिस्टम्स जैसे सोल्ड स्टोर, एमकैफीन, वेदिक्स और स्किनक्राफ्ट जैसी इम्पार्शिअल डी2सी एजेंसियों में निवेश किया है। आरपीएसजी के पार्टनर संबित डैश ने कहा: “किड्स-स्पेशल सिस्टम्स, पेटकेयर, फिटनेस मील, परिधान और खेल-कूद ऐसे प्रकार हैं जो २०२३ में इस क्षेत्र में सबसे अधिक आकर्षण देखने के लिए सेट किए जा सकते हैं।”
एचयूएल ने हल ही में इस महीने वर्चुअल-फर्स्ट स्टार्ट-यूनाइटेड स्टेट्स ओजिवा और वेलबीइंग न्यूट्रिशन में ३३४ करोड़ रुपये के क्युमुलेटिव इन्वेस्टमेंट की घोषणा की। लव ब्यूटी एंड प्लैनेट, डर्मलोजिका सिंपल जैसे लेबल्स को वेब साइटों के माध्यम से कंस्यूमर्स को डायरेक्ट परचेज कराने के लिए अपनी वर्तमान डायरेक्ट-टू-कंस्यूमर्स प्रजेंस को और ज्यादा विस्तार किया।
अधिकांश टॉप ब्रांड्स अपने डिस्क्रिशनरी मर्चेंडाइज के लिए पर्सनल माइक्रोसाइट्स के साथ प्रयोग कर रहे हैं और दर्जनों वर्चुअल स्ट्रक्चर जैसे वेब साइट्स का उपयोग कर रहे हैं। इस तरह वे अपने प्रोडक्ट्स आसानी से बचाव कर पा रहे है। ऑनलाइन परचेस कोरोना महामारी के दौरान जबरदस्त रूप से बढ़ गया | अधिकांश कंस्यूमर्स डिपार्टमेंट स्टोर और बाजारों में खरीदारी के बजाए ऑनलाइन परचेस करने के आदि हो गए ।
तो यह थी आज के भारत में डायरेक्ट टू कंस्यूमर्स (D2C) के बारे एक महत्वपूर्ण जानकारी। उम्मीद है आपको यह जानकारी अवश्य उपयोगी लगी होगी।
जल्दी ही आपसे फिर किसी ऐसे ही महत्वपूर्ण विषय पर उपयोगी जानकारी लेकर उपस्थित होंगे, तब तक के लिए
स्टे हैप्पी एंड स्टे हैल्थी।
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